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White लिया था प्रण लिखने को रश्मिरथी पर लिख रहा हूं मधुशाला ©Kavi Aditya Shukla

#कविता  White लिया था प्रण लिखने को रश्मिरथी
पर लिख रहा हूं मधुशाला

©Kavi Aditya Shukla

कविता कोश कविता

15 Love

White टूटने वाले तारे देता फिरे जब की तू ही प्रतिपल भाई गिरे भव कितना है निर्दय पता चल गया न सोचे जो पीड़ित न दूँ पीड़ा रे ©कवि प्रभात

#कविता #good_night  White टूटने वाले तारे देता फिरे 
जब की तू ही प्रतिपल भाई गिरे 
भव कितना है निर्दय पता चल गया 
न सोचे जो पीड़ित न दूँ पीड़ा रे

©कवि प्रभात

#good_night कविता कोश कविता कोश

14 Love

#कविता  White मुझे अमावस्या की‌ ओर बढ़ते,
 चाँद के सफर-सा,
 प्रेम नहीं चाहिए तुम्हारा।।
*
 मेरी चाहत है..., 
 मुझे शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के
 सफर पर चलते चाँद-सा, 
पूर्ण, उज्जवल और पवित्र प्रेम मिले तुम्हारा।

©पूजा सक्सेना ‘पलक’

#Love कविता कोश कविताएं प्यार पर कविता कविता कोश

126 View

Suno Chaand आपको व आपके परिवार को 'शरद पूर्णिमा' की बधाई एवं शुभकामनाएँ, तथा -दो दोहे- शरद पूर्णिमा पर्व की, बड़ी अनोखी बात। इस दिन होती चाँद से, रात्रि अमृत बरसात।। शरद पूर्णिमा चाँद की, धवल चाँदनी खास। इसीलिए श्रीकृष्ण ने, रचा इसी दिन रास।। -हरिओमश्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#कविता #Moon  Suno Chaand  आपको व आपके परिवार को 'शरद पूर्णिमा' की
बधाई एवं शुभकामनाएँ, तथा
-दो दोहे-

शरद पूर्णिमा पर्व की, बड़ी अनोखी बात।
इस दिन होती चाँद से, रात्रि अमृत बरसात।।

शरद पूर्णिमा चाँद की, धवल चाँदनी खास।
इसीलिए श्रीकृष्ण ने, रचा इसी दिन रास।।

-हरिओमश्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#Moon कविता कोश कविता कोश

11 Love

#कविता #Parchhai  आधी अधूरी जैसी भी हूं 
सबसे पहले इंसान हूं मैं 
नासमझ नादान जो भी हूं 
आंखों में आसूं लिए इक आस हूं मैं 
माना हूं भरोसे में.....
मैं कुछ से धोखे खाईं 
राहों में मुश्किले तो सभी की आनी है 
पर किससे कहूं?
सबसे पहले इंसान हूं मैं।।

©Sarita Kumari Ravidas

#Parchhai कविताएं कविता कोश कविता कविताएं कविता कोश

135 View

#अदृश्य_दीवारें #कविता  White कांधे से कांधा मिला कर 
चलने की सोच थी
खुद को साबित करने की
दिल में लगी भूख थी
मंजिल के प्रकाश में
जोश जुनून का सहरा था।
मालूम न था राहों में
अदृश्य दीवार का पहरा था।
जिसके नुकीले सरिये ने
घाव दिया गहरा था।
जिसने हमारे तन मन को
अंदर तक घायल किया
हमारे हर अरमानों का
बेरहमी से क़तल किया।
©अलका मिश्रा

©alka mishra

#अदृश्य_दीवारें कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश

99 View

White लिया था प्रण लिखने को रश्मिरथी पर लिख रहा हूं मधुशाला ©Kavi Aditya Shukla

#कविता  White लिया था प्रण लिखने को रश्मिरथी
पर लिख रहा हूं मधुशाला

©Kavi Aditya Shukla

कविता कोश कविता

15 Love

White टूटने वाले तारे देता फिरे जब की तू ही प्रतिपल भाई गिरे भव कितना है निर्दय पता चल गया न सोचे जो पीड़ित न दूँ पीड़ा रे ©कवि प्रभात

#कविता #good_night  White टूटने वाले तारे देता फिरे 
जब की तू ही प्रतिपल भाई गिरे 
भव कितना है निर्दय पता चल गया 
न सोचे जो पीड़ित न दूँ पीड़ा रे

©कवि प्रभात

#good_night कविता कोश कविता कोश

14 Love

#कविता  White मुझे अमावस्या की‌ ओर बढ़ते,
 चाँद के सफर-सा,
 प्रेम नहीं चाहिए तुम्हारा।।
*
 मेरी चाहत है..., 
 मुझे शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के
 सफर पर चलते चाँद-सा, 
पूर्ण, उज्जवल और पवित्र प्रेम मिले तुम्हारा।

©पूजा सक्सेना ‘पलक’

#Love कविता कोश कविताएं प्यार पर कविता कविता कोश

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Suno Chaand आपको व आपके परिवार को 'शरद पूर्णिमा' की बधाई एवं शुभकामनाएँ, तथा -दो दोहे- शरद पूर्णिमा पर्व की, बड़ी अनोखी बात। इस दिन होती चाँद से, रात्रि अमृत बरसात।। शरद पूर्णिमा चाँद की, धवल चाँदनी खास। इसीलिए श्रीकृष्ण ने, रचा इसी दिन रास।। -हरिओमश्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#कविता #Moon  Suno Chaand  आपको व आपके परिवार को 'शरद पूर्णिमा' की
बधाई एवं शुभकामनाएँ, तथा
-दो दोहे-

शरद पूर्णिमा पर्व की, बड़ी अनोखी बात।
इस दिन होती चाँद से, रात्रि अमृत बरसात।।

शरद पूर्णिमा चाँद की, धवल चाँदनी खास।
इसीलिए श्रीकृष्ण ने, रचा इसी दिन रास।।

-हरिओमश्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#Moon कविता कोश कविता कोश

11 Love

#कविता #Parchhai  आधी अधूरी जैसी भी हूं 
सबसे पहले इंसान हूं मैं 
नासमझ नादान जो भी हूं 
आंखों में आसूं लिए इक आस हूं मैं 
माना हूं भरोसे में.....
मैं कुछ से धोखे खाईं 
राहों में मुश्किले तो सभी की आनी है 
पर किससे कहूं?
सबसे पहले इंसान हूं मैं।।

©Sarita Kumari Ravidas

#Parchhai कविताएं कविता कोश कविता कविताएं कविता कोश

135 View

#अदृश्य_दीवारें #कविता  White कांधे से कांधा मिला कर 
चलने की सोच थी
खुद को साबित करने की
दिल में लगी भूख थी
मंजिल के प्रकाश में
जोश जुनून का सहरा था।
मालूम न था राहों में
अदृश्य दीवार का पहरा था।
जिसके नुकीले सरिये ने
घाव दिया गहरा था।
जिसने हमारे तन मन को
अंदर तक घायल किया
हमारे हर अरमानों का
बेरहमी से क़तल किया।
©अलका मिश्रा

©alka mishra

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