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किसी भी रिश्ते में उपहारों का लेन-देन जरुरी नहीं है, पर रिश्तों में प्रेम रुपी खाद और सम्मान रुपी जल जरुरी है। ©Priya Gour

#सम्मान #प्रेम #विचार #4oct  किसी भी रिश्ते में उपहारों का लेन-देन जरुरी नहीं है,
पर रिश्तों में प्रेम रुपी खाद और सम्मान रुपी जल जरुरी है।

©Priya Gour
#f●®€v€®👭❤️❤️
#f●®€v€®👭❤️❤️
#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #चेहरे #दीदार #लव

देखा है जब से तुम्हारे इस #चेहरे को मेरा दिल सिर्फ तेरा ही #दीदार चाहता है..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ ®®®❣️®®®

171 View

#f●®€v€®👭❤️❤️
#श्रृंगार #विचार #Tulips #25aug  White किसी भी वत्त-त्यौहार पर अक्सर सजने वाली लड़की को यही तंज कंसा जाता हैं कभी हँसी में छेडा़ जाता हैं की किसके लिए तैयार हुई?
जैसे नारी को अपनी खुशी से अपने लिए सजने संवरने का अधिकार ही नहीं है बस सज संवरी हैं तो किसी के लिए श्रृंगार का संपूर्ण अर्थ पुरुष से ही है ?
माना किसी भी नारी के श्रृंगार की पूर्णता भी उसके प्रियतम को भाना है परंतु प्रश्न ये है प्रियतम के आगमन से पूर्व श्रृंगार की शुरुआत भी नहीं कर सकती कोई नारी
इस प्रश्न के अतिरिक्त एक अन्य आवश्यक प्रश्न उठता है जिनका प्रियतम छोड़ जाये हमेशा के लिए श्रृंगार करने का उनका अधिकार भी नहीं रहता हैं?

©Priya Gour

किसी भी रिश्ते में उपहारों का लेन-देन जरुरी नहीं है, पर रिश्तों में प्रेम रुपी खाद और सम्मान रुपी जल जरुरी है। ©Priya Gour

#सम्मान #प्रेम #विचार #4oct  किसी भी रिश्ते में उपहारों का लेन-देन जरुरी नहीं है,
पर रिश्तों में प्रेम रुपी खाद और सम्मान रुपी जल जरुरी है।

©Priya Gour
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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #चेहरे #दीदार #लव

देखा है जब से तुम्हारे इस #चेहरे को मेरा दिल सिर्फ तेरा ही #दीदार चाहता है..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ ®®®❣️®®®

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#श्रृंगार #विचार #Tulips #25aug  White किसी भी वत्त-त्यौहार पर अक्सर सजने वाली लड़की को यही तंज कंसा जाता हैं कभी हँसी में छेडा़ जाता हैं की किसके लिए तैयार हुई?
जैसे नारी को अपनी खुशी से अपने लिए सजने संवरने का अधिकार ही नहीं है बस सज संवरी हैं तो किसी के लिए श्रृंगार का संपूर्ण अर्थ पुरुष से ही है ?
माना किसी भी नारी के श्रृंगार की पूर्णता भी उसके प्रियतम को भाना है परंतु प्रश्न ये है प्रियतम के आगमन से पूर्व श्रृंगार की शुरुआत भी नहीं कर सकती कोई नारी
इस प्रश्न के अतिरिक्त एक अन्य आवश्यक प्रश्न उठता है जिनका प्रियतम छोड़ जाये हमेशा के लिए श्रृंगार करने का उनका अधिकार भी नहीं रहता हैं?

©Priya Gour
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