जब मैं तेरे ऊपर कोई एक गजल लिखूंगा
तब तेरे होठों को एक कमल लिखूंगा
लिखूंगा जब मैं इस बेबसी का आलम
तेरी आंखों को मैं सागर लिखूंगा
पूछेंगे लोग जब मुझसे मेरी जन्नत के बारे मैं
तब मैं तेरी बाहों में लेटना लिखूंगा
लिखूंगा तुझे मैं इस जहां की शहजादी
खुद को यहां का नवाब लिखूंगा.....
RTमजबूरी कहीं है डर कहीं हैं,
बेबसी का आलम हर कहीं हैं,
अजब बड़ा है दस्तूर ए इश्क
दर्द कहीं है, असर कहीं हैं,
परिंदे हैं हम इस आसमां के
शाम कहीं हैं, सहर कहीं हैं,
भटक रहे यहां कितने राही
मंजिल कहीं है सफर कहीं हैं,
नहीं खबर मुझको अपनी
मैं कहीं हूं, घर कहीं हैं,
सोच में सबकी फर्क बहुत हैं,
इशारे कहीं है नजर कहीं हैं,
✍️ SHIVAM 🙏
©Shivkumar barman
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