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New गीतेचा 15 वा अध्याय Status, Photo, Video

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Unsplash "जब भी मेरा ख़्याल आये" "तुम बस अपना ख़्याल रखना" ©Dr Anoop

#lovelife  Unsplash "जब भी मेरा ख़्याल आये"

"तुम बस अपना ख़्याल रखना"

©Dr Anoop

#lovelife 15 gm

18 Love

White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥ हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥ ©TeacherShailesh

#Bhakti  White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥

हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥

©TeacherShailesh

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40

15 Love

न कस्मिंश्चित् वस्तुनि वा व्यक्तिषु वा आसक्तिः अस्ति, सर्वं किञ्चित्कालं यावत् अत्र अस्ति, अद्य न श्वः। मोह नहीं यहां किसी वस्तु या व्यक्ति का सब यहां कुछ समय के लिए आज है कल नहीं There is no attachment to any thing or person, everything is here for some time, today and not tomorrow धन्यवाद हर हर महादेव ©Mohan raj

 न कस्मिंश्चित् वस्तुनि वा व्यक्तिषु वा आसक्तिः अस्ति, सर्वं किञ्चित्कालं यावत् अत्र अस्ति, अद्य न श्वः।
मोह नहीं यहां किसी वस्तु या व्यक्ति का सब यहां कुछ समय के लिए आज है कल नहीं
There is no attachment to any thing or person, everything is here for some time, today and not tomorrow
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj

Lessons न कस्मिंश्चित् वस्तुनि वा व्यक्तिषु वा आसक्तिः अस्ति, सर्वं किञ्चित्कालं यावत् अत्र अस्ति, अद्य न श्वः।

17 Love

Unsplash "जब भी मेरा ख़्याल आये" "तुम बस अपना ख़्याल रखना" ©Dr Anoop

#lovelife  Unsplash "जब भी मेरा ख़्याल आये"

"तुम बस अपना ख़्याल रखना"

©Dr Anoop

#lovelife 15 gm

18 Love

White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥ हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥ ©TeacherShailesh

#Bhakti  White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥

हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥

©TeacherShailesh

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40

15 Love

न कस्मिंश्चित् वस्तुनि वा व्यक्तिषु वा आसक्तिः अस्ति, सर्वं किञ्चित्कालं यावत् अत्र अस्ति, अद्य न श्वः। मोह नहीं यहां किसी वस्तु या व्यक्ति का सब यहां कुछ समय के लिए आज है कल नहीं There is no attachment to any thing or person, everything is here for some time, today and not tomorrow धन्यवाद हर हर महादेव ©Mohan raj

 न कस्मिंश्चित् वस्तुनि वा व्यक्तिषु वा आसक्तिः अस्ति, सर्वं किञ्चित्कालं यावत् अत्र अस्ति, अद्य न श्वः।
मोह नहीं यहां किसी वस्तु या व्यक्ति का सब यहां कुछ समय के लिए आज है कल नहीं
There is no attachment to any thing or person, everything is here for some time, today and not tomorrow
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj

Lessons न कस्मिंश्चित् वस्तुनि वा व्यक्तिषु वा आसक्तिः अस्ति, सर्वं किञ्चित्कालं यावत् अत्र अस्ति, अद्य न श्वः।

17 Love

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