#एक जल यात्री#
ले साईकिल दो जोड़ी कपड़े और कंधे पर लोई
एक पथिक भारत भ्रमण पर नाम सुभाष बिश्नोई
कर संकल्प मुसाफिर निकला होगा जल्द सवेरा
चितवन के जंगल से गुजरा परिवेश का एक चितेरा।
27 जनवरी सन 21 को जल योद्धा हुए रवाना
पर्यावरण बचाने खातिर निकल पड़ा ये परवाना
उम्र ना होती बाधक जब हो मकसद मंजिल पाना
कालीरावण के सुभाष तुझे रखेगा याद जमाना
वय साठ होते ही जाॅब से हुआ रिटायर,
अन्तःकरण जल रही थी प्राकृतिक फायर,
निकल पड़ा वसुधा का नायक चढ़ साईकिल के टायर
जटिल था निर्णय पर क्या? ऐसा कर सकता कायर।
जज्बा और जूनूनी राही चल पड़ा था उठा के साईकिल
गीता और कुरान पढ़ी है,ग्रंथ पढ़ा है पढी है बाईबिल
द्वँद्व हमेशा उसी ने जीता खौफ़ को जिसने किया है kill
प्रकृति सेवा में जिसका बचपन से ही लगता दिल।
मुंबई की पुलिस ने पकड़ा
राजस्थान की खुड़ी में अटका
रत्नागिरी के पहाड़ ने पटका
नेपाली प्रहरी ने भी रोका
पर जल का ये भरा था मटका
किस की हिम्मत शिद्दत रोके
जब दीप जला हो इष्ट लक्ष्य का
बुझा सके क्या हवा के झोंके
जो सूरज की तरह हो चमका
चौरासी में मिली नौकरी और बीस में हुई विदाई
पेड़ ही जीवन की शिक्षा माता अमृता ने सिखलाई।
गुरु जम्भेश्वर और गुरु नानक दोनों जगत के महान शिक्षक
पानी पिता है धरती माता यही हमारे जीवन रक्षक
आज समय की एक जरुरत नहीं बचेगा प्रकृति नाशक
पेड़ धरा के काट रहा जो वायु मंडल का है भक्षक।
25000 km की लम्बी यात्रा चला-चलम
काठमंडू से अरिचलम और जम्मू और रामेश्वरम.
पूर्व की खाड़ी नापी पश्चिम का नापा सागर
भारत के उसे आखिरी तट पर लहराता हिन्द महासागर।
लहरें उठी जब लहराती, वाह रे नीर समर्पित योद्धा
तेरे इस मिशन मुहिम पर, हम सब वाऱी तोय पुरोधा।
सूरत से भावनगर तक, रो रो की करी सवारी
जल जमीं व पेड़ प्रकृति, लगती इनको प्यारी।
जन्माष्टमी अगस्त 26 गोरखधाम रेल में मुलाकात
हुई सफर में जब चर्चा और जल जीवन पर बात,
" विद्रोही" ने लिख डाली ये कविता उस रात
सच कहूं इस उड़ान से मिली "विजय" को जज्बे की सौगात।
©Vijay Vidrohi
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