White #हार...
लाख बुराइयों से लड़ चूका था मैं,
पर जीने से कभी मुंह नहीं मोड़ा था,
परिवार में सबसे छोटा हूं मैं,
लेकिन परिवार की राजनीति से हार गया था...
हां, परिस्थितीयाँ थी ऐसी,
कि सब कुछ बिगड़ गया था,
"हार मान ले ऐं मुसाफिर,"
परिवार में हर किसी का कहना था...
अब परिवार में हार कैसी,
लेकिन जितने के सौ बहाने ढूंढे,
हर पैत्रां उल्टा पड़ा मेरा,
और हार से भी ज्यादा हार गया मैं...
माँ से क्या ही लडू,
वो खुद जिंदगी से लड़ रही है,
पिता जी को क्या ही बोलू,
वो खुद में ही जूझ रहे हैं...
सोचा था भाई-बहन साथ देंगे,
वो तो कुछ कहते ही नहीं,
"और कैसा है बेटे? क्या चल रहा है?"
मुझसे कभी पूछते ही नहीं...
दोस्तों से उम्मीद रखता था,
उन्होनें भी पूछना छोड़ दिया,
अब कहा जाऊँ, और क्या करू,
क्योंकि उन्होनें ही मिलना छोड़ दिया...
बहुत अलग जिंदगी है सबकी,
मेरी भी अलग कहानी है,
जीतना तो मुझे भी है ज़िन्दगी में ,
लेकिन कभी हार नहीं मानना है....
©Bitterone_me
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