White क्या होता है अपनों के न होने का दर्द?
अपनों के न होने का दर्द बयां करती हूं,
जिंदगी में एक अच्छा दोस्त ना होने
के कारण दर्द बयां करती हूं l
अपनी जिंदगी पूरे मौज में जी रही थी l
कोई रोकने टोकने वाला नहीं था l
इसलिए दर्द और भटकती जा रही थी l
सुबह-सुबह उठकर जल्दी से जा रही थी,
अचानक आवाज आई, पीछे अपना
जैकेट तो ,ले लो मुझे लगा मेरी
मां बोल रही हैl किचन से जिसके
हाथों में सन आता होगा l
क्या पता था? पीछे देखेगी
तो वहां सिर्फ सन्नाटा होगाl
जैन की आदत मेरी देर से रोज देर
से जगती हूंl सुबह में जागते थे,
पापा मेरे उन्हीं के यादों में सोती हूं।
एक दिन आवाज आई अरे जाग जा
कितनी देर सोएगी तुम्हें वक्त का पता नहीं
लगा यह आवाज पापा जी का ही होगा
मुझे क्या पता था? आंखें खोलकर देखूंगी तो
खुला सिर्फ दरवाजा होगा।
प्रतिदिन सुबह-सुबह पूजा करके,घंटी बजती थी।
दादी मेरी, एक दिन सुन घंटी की आवाज
को खुशी से झूम उठी बाहरआकर
देखी मंदिर सूना पड़ा था।
जो घंटी की आवाज सुनी थी,
वह तो स्कूल वाला था ।
किस भूलूं किस याद करूं, यही सोच लिए तड़प रही हूं। कभी मन तो कभी, पापा व परिजनों
को याद किए जा रहे हूं। किसी से नहीं
कर सकती अपना दर्द बयां,
इसलिए सभी दर्द छुपा कर चली जा रही हूं।
चली जा रही हूं, चली जा रही हूं।
©Akriti Tiwari
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