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#कविता

मैं पवन जैन अपने एक गीत के साथ..गीत के बोल हैं........ "प्रिय कभी तो आकर देखो.. उस मोलसरी के पेड़ तले!"

99 View

#Bhakti

जय पवन पुत्र हनुमान जी की जय 🙏🙏🙏🙏🚩

144 View

#कविता #चंचल #पवन
#बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #भारतीयरेल #कविता95 #कविता #भारत  White भारतीय रेल 

अपनी भारत की हर बात निराली है व सुहानी सी है
वहाँ हर चीज़ की , यहाँ अपनी एक कहानी है ।
कहानियो की बात हम करे,
तो रेल सबकी वो रानी है ।
–
कभी तीन दिन का लम्बा सफर
तो कभी रोज़ का अपडाउन ।
यहाँ हर किसी का अलग ही किस्सा है
रेल हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा है ।
–
पैसेंजर ट्रैन में बना रिश्ता सबसे प्यारा होता है 
चलती ट्रैन को पकड़ने का आनंद न्यारा होता है ।
छोटे बच्चे का वो खिड़की की पटिया पर बैठना 
बड़ा खूबसूरत नज़ारा होता है ।
–
हर ट्रैन की बात अलग है, बोली अलग है,
सचखंड की पंजाबी , पवन की बिहारी,
नवजीवन की गुजराती, कर्नाटक की तेलगु
सब की अपनी एक दास्ताँ है ।
–
पर एक बात सबकी समान है,
भारत की रेल, भारत की पहचान है ।

©बेजुबान शायर shivkumar

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

11 Love

#कविता #चंचल #पवन
#कविता

मैं पवन जैन अपने एक गीत के साथ..गीत के बोल हैं........ "प्रिय कभी तो आकर देखो.. उस मोलसरी के पेड़ तले!"

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#Bhakti

जय पवन पुत्र हनुमान जी की जय 🙏🙏🙏🙏🚩

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#कविता #चंचल #पवन
#बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #भारतीयरेल #कविता95 #कविता #भारत  White भारतीय रेल 

अपनी भारत की हर बात निराली है व सुहानी सी है
वहाँ हर चीज़ की , यहाँ अपनी एक कहानी है ।
कहानियो की बात हम करे,
तो रेल सबकी वो रानी है ।
–
कभी तीन दिन का लम्बा सफर
तो कभी रोज़ का अपडाउन ।
यहाँ हर किसी का अलग ही किस्सा है
रेल हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा है ।
–
पैसेंजर ट्रैन में बना रिश्ता सबसे प्यारा होता है 
चलती ट्रैन को पकड़ने का आनंद न्यारा होता है ।
छोटे बच्चे का वो खिड़की की पटिया पर बैठना 
बड़ा खूबसूरत नज़ारा होता है ।
–
हर ट्रैन की बात अलग है, बोली अलग है,
सचखंड की पंजाबी , पवन की बिहारी,
नवजीवन की गुजराती, कर्नाटक की तेलगु
सब की अपनी एक दास्ताँ है ।
–
पर एक बात सबकी समान है,
भारत की रेल, भारत की पहचान है ।

©बेजुबान शायर shivkumar

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

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