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New नज़्म और ग़ज़ल में अंतर Status, Photo, Video

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हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena

#शायरी  हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena

ग़ज़ल

19 Love

मन भर जाए वो : मोह मन भर आये वो : प्रेम आकर्षण हो वो : मोह समर्पण हो वो : प्रेम तुम मेरे हो वो : मोह मैं तुम्हारा हूँ वो : प्रेम ©Sumit Kumar

 मन भर जाए वो : मोह 
मन भर आये वो : प्रेम 

आकर्षण हो वो : मोह 
समर्पण हो वो : प्रेम 

तुम मेरे हो वो : मोह 
मैं तुम्हारा हूँ वो : प्रेम

©Sumit Kumar

मोह और प्रेम में अंतर..

12 Love

अंतर ढूँढ़ो ©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

#अंतर #Quotes  अंतर ढूँढ़ो

©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

#अंतर ढूंढ़ो🔎

13 Love

हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena

#शायरी  हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena

ग़ज़ल

19 Love

मन भर जाए वो : मोह मन भर आये वो : प्रेम आकर्षण हो वो : मोह समर्पण हो वो : प्रेम तुम मेरे हो वो : मोह मैं तुम्हारा हूँ वो : प्रेम ©Sumit Kumar

 मन भर जाए वो : मोह 
मन भर आये वो : प्रेम 

आकर्षण हो वो : मोह 
समर्पण हो वो : प्रेम 

तुम मेरे हो वो : मोह 
मैं तुम्हारा हूँ वो : प्रेम

©Sumit Kumar

मोह और प्रेम में अंतर..

12 Love

अंतर ढूँढ़ो ©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

#अंतर #Quotes  अंतर ढूँढ़ो

©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

#अंतर ढूंढ़ो🔎

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