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रात का आलम गहरा है, चांद भी है खोया,
उसकी यादें आती हैं, मन को किया भिगोया।
सितारों की चमक में भी, उसकी कमी महसूस हो,
उसके बिना ये सन्नाटा, कितना तन्हा और खोखला हो।
उसकी हँसी की खनक, जैसे कोई मीठी लहर,
अब रात में उसकी यादें, करती हैं मुझे बेकरार।
हर पल उसका साथ था, अब है सिर्फ ख़ामोशी,
उसकी मौजूदगी का एहसास, अब बन गई है रोशनी।
बिना उसके ये रातें, लगती हैं वीरान,
दिल को उसकी चाहत, हर रात करती है परेशान।
रात की चादर में लिपटी, उसकी यादें आती हैं,
उसकी कमी को महसूस कर, आँखें मेरी भर जाती हैं।
©Arjun Negi
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