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White अच्छी औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के इतिहास मे दर्ज है : अग्नि-परीक्षा के बाद भी सीता अच्छी नहीं हो पाई चीरहरण झेलने के बाद भी द्रोपदी का गुणगान नहीं हो पाया लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग लोगों को याद तक नहीं तो फिर ये अच्छी औरतें कौन हैं? क्या हर रोज़ मार खाती औरतें? या सरेआम पिटती औरतें? या चौके बर्तन में घिसती औरतें? या फिर बच्चों के पीछे भागती औरतें? कौन होती हैं आख़िर अच्छी औरतें? अंशू कुमार ©Shivkumar barman

#अग्निपरीक्षा #हिन्दीकविता #इतिहास #गुणगान #कविता #त्याग  White अच्छी औरतें कौन होती है? 
जो चुप्पी साधे रहें 
या फिर जो हँसते हुए तमाशबीन हो 

क्योंकि औरतों के इतिहास मे दर्ज है : 
अग्नि-परीक्षा के बाद भी 
सीता अच्छी नहीं हो पाई 

चीरहरण झेलने के बाद भी 
द्रोपदी का गुणगान नहीं हो पाया 

लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग 
लोगों को याद तक नहीं 

तो फिर ये अच्छी औरतें कौन हैं? 

क्या हर रोज़ मार खाती औरतें? 
या सरेआम पिटती औरतें? 
या चौके बर्तन में घिसती औरतें? 
या फिर बच्चों के पीछे भागती औरतें? 

कौन होती हैं आख़िर अच्छी औरतें? 

अंशू कुमार

©Shivkumar barman

अच्छी #औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो #हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के #इतिहास मे दर्ज है : #अग्निपरीक्षा

12 Love

#त्रासदी #मंज़र #पर्दा #अक्ल #हसीन #nojotohindi  पर्दा पड़ गया है अक्लों पे ये कैसा?
कि त्रासदी  हर हसीं  मंज़र लगे है

©Saba Rasheed

White ग़ज़ल  मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही  दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही   जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को  बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही  दीन ईमान वो बेच खाते  रहे  जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही  बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।। बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल । और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।। देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे । जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल 
मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही 
दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही 

 जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को 
बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

दीन ईमान वो बेच खाते  रहे 
जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही 

बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ
उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही

वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें
देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।।

बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल ।
और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।।

देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे ।
जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल  मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही  दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही   जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को  बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

11 Love

White अच्छी औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के इतिहास मे दर्ज है : अग्नि-परीक्षा के बाद भी सीता अच्छी नहीं हो पाई चीरहरण झेलने के बाद भी द्रोपदी का गुणगान नहीं हो पाया लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग लोगों को याद तक नहीं तो फिर ये अच्छी औरतें कौन हैं? क्या हर रोज़ मार खाती औरतें? या सरेआम पिटती औरतें? या चौके बर्तन में घिसती औरतें? या फिर बच्चों के पीछे भागती औरतें? कौन होती हैं आख़िर अच्छी औरतें? अंशू कुमार ©Shivkumar barman

#अग्निपरीक्षा #हिन्दीकविता #इतिहास #गुणगान #कविता #त्याग  White अच्छी औरतें कौन होती है? 
जो चुप्पी साधे रहें 
या फिर जो हँसते हुए तमाशबीन हो 

क्योंकि औरतों के इतिहास मे दर्ज है : 
अग्नि-परीक्षा के बाद भी 
सीता अच्छी नहीं हो पाई 

चीरहरण झेलने के बाद भी 
द्रोपदी का गुणगान नहीं हो पाया 

लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग 
लोगों को याद तक नहीं 

तो फिर ये अच्छी औरतें कौन हैं? 

क्या हर रोज़ मार खाती औरतें? 
या सरेआम पिटती औरतें? 
या चौके बर्तन में घिसती औरतें? 
या फिर बच्चों के पीछे भागती औरतें? 

कौन होती हैं आख़िर अच्छी औरतें? 

अंशू कुमार

©Shivkumar barman

अच्छी #औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो #हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के #इतिहास मे दर्ज है : #अग्निपरीक्षा

12 Love

#त्रासदी #मंज़र #पर्दा #अक्ल #हसीन #nojotohindi  पर्दा पड़ गया है अक्लों पे ये कैसा?
कि त्रासदी  हर हसीं  मंज़र लगे है

©Saba Rasheed

White ग़ज़ल  मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही  दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही   जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को  बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही  दीन ईमान वो बेच खाते  रहे  जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही  बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।। बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल । और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।। देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे । जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल 
मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही 
दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही 

 जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को 
बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

दीन ईमान वो बेच खाते  रहे 
जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही 

बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ
उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही

वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें
देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।।

बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल ।
और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।।

देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे ।
जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल  मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही  दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही   जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को  बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

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