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हरियाणा हरियाणवी संस्कृति की धरा पर, खेतों में है खड़े किसान, मेहनत से जुटे दिन और रात हरियाणा की ये पहचान। उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने, सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू, बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार, गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार। हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है, जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी। गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान। जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। कृपया बताएं कविता कैसी लगी ©Vijay Vidrohi

#हरियाणा #poem #New #my  हरियाणा 

हरियाणवी संस्कृति की धरा पर,
खेतों में है खड़े किसान, 
मेहनत से जुटे दिन और रात
हरियाणा की ये पहचान।

उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने,
सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने

महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू,
बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू

खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी
ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी 

उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार,
गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार।

हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है,
जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी।

गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान
यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान।

जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है।
कृपया बताएं कविता कैसी लगी

©Vijay Vidrohi

हरियाणा #हरियाणा #my #New #poem poetry on love love poetry in hindi hindi poetry punjabi poetry poetry lovers

14 Love

Unsplash "सुख समृद्धि की प्रतीक शाख हरीतिमा की नज़रों को सुहाती दिल को भांति कह रही है हमसे मेरे फल तोड़ो मेरी शाख न तोड़ो मैं उपवन की शोभा हूं मैं जीवन की डोर हूं तुम मुझे बचाओ मैं तुम्हें बचाऊंगी मैं संजीवनी और हूं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat

#हरियाली #शायरी #leafbook  Unsplash "सुख समृद्धि की प्रतीक 
शाख हरीतिमा की 
नज़रों को सुहाती 
 दिल को भांति 
कह रही है हमसे 
मेरे फल तोड़ो 
मेरी शाख न तोड़ो 
मैं उपवन की शोभा हूं 
मैं जीवन की डोर हूं 
तुम मुझे बचाओ 
 मैं तुम्हें बचाऊंगी 
मैं संजीवनी और हूं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#leafbook #हरियाली बचाए#

16 Love

#शायरी

हरी - भरी वसुधा लगे, हरियाली हर छोर। झुक- झुक चलती रेल की, मनभावन यह शोर।।

126 View

हरियाणा हरियाणवी संस्कृति की धरा पर, खेतों में है खड़े किसान, मेहनत से जुटे दिन और रात हरियाणा की ये पहचान। उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने, सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू, बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार, गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार। हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है, जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी। गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान। जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। कृपया बताएं कविता कैसी लगी ©Vijay Vidrohi

#हरियाणा #poem #New #my  हरियाणा 

हरियाणवी संस्कृति की धरा पर,
खेतों में है खड़े किसान, 
मेहनत से जुटे दिन और रात
हरियाणा की ये पहचान।

उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने,
सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने

महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू,
बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू

खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी
ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी 

उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार,
गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार।

हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है,
जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी।

गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान
यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान।

जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है।
कृपया बताएं कविता कैसी लगी

©Vijay Vidrohi

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14 Love

Unsplash "सुख समृद्धि की प्रतीक शाख हरीतिमा की नज़रों को सुहाती दिल को भांति कह रही है हमसे मेरे फल तोड़ो मेरी शाख न तोड़ो मैं उपवन की शोभा हूं मैं जीवन की डोर हूं तुम मुझे बचाओ मैं तुम्हें बचाऊंगी मैं संजीवनी और हूं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat

#हरियाली #शायरी #leafbook  Unsplash "सुख समृद्धि की प्रतीक 
शाख हरीतिमा की 
नज़रों को सुहाती 
 दिल को भांति 
कह रही है हमसे 
मेरे फल तोड़ो 
मेरी शाख न तोड़ो 
मैं उपवन की शोभा हूं 
मैं जीवन की डोर हूं 
तुम मुझे बचाओ 
 मैं तुम्हें बचाऊंगी 
मैं संजीवनी और हूं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#leafbook #हरियाली बचाए#

16 Love

#शायरी

हरी - भरी वसुधा लगे, हरियाली हर छोर। झुक- झुक चलती रेल की, मनभावन यह शोर।।

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