Assistant Manager, DBAI Airport Nagpur "कतरा कतरा स्याही गिराए चलो रास्तों पर चित्रकारी बनाए चलो पढ़े हुए उन हिस्सों को जुटाए चलो इन बेईमानों का अब यह रोज का धंधा है और सिर्फ कलम की स्याही से तू ज़िंदा है इसे सच लिखने की बीमारी है "मेरी कलम थोड़ी सी भारी है"
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