तू एक बार लड़का बन कर तो देख
तू लड़का है तू किसी भी हाल में रो नहीं सकता,खिलौना टूटे या दिल तू पलके भिंगो नहीं सकता।
लाड़ प्यार से ज्यादा जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया जाता है,कितनी मुश्किल से कमाते हैं पैसा बचपन से यही सिखाया जाता है।
एक के दिल का नूर है तू,किसी की मांग का सिंदूर है तू,कौन समझेगा किसे बताएगा अरे दिनभर की थकन से चकनाचूर है तू।
कि तू मर्द है रो के दिखा नहीं सकता,कितना 'तू' भी टूटा हो दिल तू आंसू बहा नहीं सकता,तू दिन रात,सुबह शाम इन ख्वाइशों की भट्टी में जलकर तो देख,तू एक बार लड़का बनकर तो देख।
क्या तू देख पायेगा माता पिता को इस उम्र में काम करते हुए या देख पायेगा बीबी बच्चों को अभाव में पलते हुए ।
तुझे कृष्ण बन प्रेम का राग सुनाना पड़ेगा,मन मे बसी हो राधा लेकिन रुकमणी से ब्याह रचाना पड़ेगा ,तू अपनी ही इच्छाओं पर आदर्शों का चोला पहनकर तो देख,तू एक बार लड़का बनकर तो देख ।
तुझे हर घाव हर जख्म को छुपाना पड़ेगा,कुछ भी हो तुझे दुनिया के सामने मुस्कुराना होगा,कितना दर्द है इस दिल में इस दिल पर हाँथ रखकर तो देख,तू एक बार लड़का बनकर तो देख।।
©Sudhanshu Ojha
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