रख हौसला कि लौटकर वक़्त वो फ़िर से आएगा,
तू फ़िर से जहाँ में ईमान वाला कहलायेगा,
जो आज तुझे कह रहा है गद्दार और बेईमान,
यक़ीनन वो अपने इस किये पर बहुत पछताएगा।
अकरम रज़ा खान
तारीख़ में दर्ज़ एक ऐसा भी वजीर गुज़रा होगा
कपड़े बदलने में माहिर जिसका पसन्दीदा शौक रहा होगा
क़ौमे तकती रही जिसे एक उम्मीद की नज़रों से
वो बस बातें बड़ी बड़ी करने में मशहूर रहा होगा।
अकरम रज़ा खान
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