यार मेरे मुझको रंग दे अब तू पानी के रंग।
बदल जाएं तनमन जीवन के आड़े टेढ़े ढंग ।।
कितने रंग डाले दुनिया ने रंगी न मेरी ज़ात।
ले चल मुझको बांध गठरिया अब रंग पानी के घाट।।
प्रियंवदा
मैने....
उसके दिल पर हाथ रख
पूछा उससे
सच सच बताओ....
ये प्यार क्या है...
वह अचंभित हो मुझे
देखता ही रहा....बस देखता ही रहा
उलझी हूँ तब से
उसकी आँखों को पढ़ते समझते
और एक वो है कि
अब तक है मौन.........
प्रियंवदा
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