देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूं,
लोगों की कही बातों को अब,भुलाने लगी हूँ,
लगे उम्र तुम्हें मेरी भी,ये दुआ है रब से,
बस तुम ही लाज़मी किरदार हो,मेरी ज़िंदगी में अब से,
बस अब तुम्हारे ही ख़यालों में,डूब जाने लगी हूँ,
देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
तुम भले ही रुलाओ मुझको,मग़र मैं तुमको हंसाऊंगी ज़रूर,
दूर जाना ग़र चाहोगे तो,एक बार तो तुम्हें फिर से,पास बुलाऊंगी ज़रूर,
बस इन्हीं बातों को सोच,प्यार भरे गीत गुनगुनाने लगी हूँ,
देखो,मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
ग़र बेवफ़ा होने की सोचू भी,तो उस ही पल मर जाऊँ,
तुझे खोने भर के ख़्याल से भी,जानां अब मैं डर जाऊं,
ज़िंदगी में अब,खुदसे ज़्यादा ज़रूरी तुझे बताने लगी हूँ,
देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
नहीं चाहिए मुझे कोई तुमसे अच्छा,
क्यूंकि प्यार हुआ है तुमसे,बेहद सच्चा,
तुम्हें ही अपनी खुशी की वजह,ठहराने लगी हूँ,
देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
एक बार उम्र भर के लिए,तुम मेरे हो जाना,
ग़र आये जीवन में रात,तो तुम नए सवेरे हो जाना,
चांद और चांदनी की तरह करीब,तुम्हें लाने लगी हूँ,
देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
मैं राधा और तुम,श्याम बन जाना,
ग़र बनूं सीता तो तुम मेरे,राम बन जाना,
इन्हीं ख़यालों को दिल में ला कर,शरमाने लगी हूँ,
देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
ग़र रास ना आयें मेरी बातें,हौले से मुझको समझाना,
ग़लत क्या है सही क्या,ये सब मुझको बतलाना,
तेरे बिना ज़िन्दगी जीने की सोच भर से,घबराने लगी हूँ,
देखो,अब मैं फिर से,मुस्कुराने लगी हूँ।
जीने लगी हूँ,जीवन के हर सफर को फिर से,
तेरी मोहब्बत में जाना,फिर से निखर के आने लगी हूँ।
तुझसे मुहब्बत अब मैं,खुदसे ज़्यादा करने लगी हूँ,
हां जानां,तेरे प्यार में अब,सब ग़म भुलाने लगी हूँ।
जीवन भर साथ निभाने की,ख्वाइश करने लगी हूँ,
तेरे संग ही जीने की,अब मैं कसमें खाने लगी हूं।
कि प्यार किया है तुमसे ही,और निभांऊँगी भी ज़रूर,
ये बातें अब मैं सारी दुनिया को,बतलाने लगी हूँ।
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