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शायर खोया खोया सा ख्याल हूँ बिखरा बिखरा इक सवाल हूँ समेटोगे गर तिनका तिनका मिलता जुलता इक जवाब हूँ फरमाइए गौर ज़रा इन सन्नाटों में आहट में लिपटी इक आवाज़ हूँ फैला है धुआँ ही धुआँ सब तरफ खाक में सिमटी अन्तिम आग हूँ आइना फ़ितरत शायर की कब तलाक मेँ शायर बदनाम भी मगर गुमनाम हूँ -एल जी लोकेश गुप्ता
Lokesh Gupta
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छोटी मोटी हार से भटकते नहीं मार्ग से छुपा ले इस परिभव को ©Lokesh Gupta वेदनाओ के आँचल में एक दिन ढह जायेंगे जीत के सैलाब में... -एल.जी.
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इस मोड़ पर खड़ी ज़िंदगी अब कुछ तलाशती है..!!!! कही मील का पत्थर दिख जाये.., © Lokesh Gupta और उस पर लिखा हो सुकून - शून्य किलोमीटर -एल.जी.
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ख़ंजर-ए-क़ातिल गम है कि वो अजनबी नहीं हमारे लिए © Lokesh Gupta अजनबी होते तो ख़ंजर-ए-क़ातिल न होते -एल.जी.
शिकार हमारा शिकार करने की कोशिश न करो शिकारी..!!!! हम वो आदमखोर शेर हैं.., © Lokesh Gupta जो किसी का ज़िस्म तो क्या रूह भी नहीं बख्शते ....। -एल.जी.
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सुरमा आँखों में जो सुरमाया है © Lokesh Gupta अश्क़ है या खून आया है...??? -एल.जी.
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