आये थे कल वो मांगने मन्नत खुदा के दर पे,
माँगा होगा हमें दोबारा,हम यही सोच के खुश थे,,,
नज़र ना मिला सके जब वो,
आसमां सा फूट पड़ा,,,
मालूम था राजन तुझे,
तुम जैसे काफिरो की किस्मत में
इश्क़ कहाँ...
Scar कैसे छुपा ले तेरे दिए हुए iइन जख्मो को,,
अभी तो मेहखानो mein तेरे इश्क़ ke चर्चें
होना बाकी hai,,,
सबूत मांगेगी ye दुनिया हमारे
इश्क की,
ये जख्म ही है जो तेरे इश्क़ को
बयां कर सकेंगे
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