किसी सुंदरी के श्रृंगार के बंद नहीं लिख सकता मैं, हास्य बिरहा करुणा के छंद नहीं लिख सकता मैं, जब आंखों में बसी हो शहादत वीर जवानों की, तो भ्रमर बन पुष्पों की सुगंध लिख सकता मैं। उत्कर्ष शुक्ला UK https://youtube.com/@minervanews.24x7live9
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