ख्वाब, हक़ीक़त ,किस्सा , फसाना
ये तो हिस्सा है ज़िन्दगी का
कभी रोना कभी मुस्कुराना
यही तो तराना है ज़िन्दगी का
दूर रह कर भी पास हो जाना
नफरत मैं भी प्यार निभाना
मुझसे रुठ कर खुद को मनाना
कितना अजीब है ना
खिलते फूलों का यूँ मुरझाना
मेरा इश्क़ छीन कर मुझे ही इश्क़ सिखाना
ना जाने कितना है हमारा ये किस्सा पुराना
सही है जानकर भी गलत समझता है वो मुझे
वाह! कितना अजीब है ना उसके दूर जाने का बहाना..
BAJETHA NIKITA...
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