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कुछ नहीं
खुद की खामियों को पहचान लेते हैं, आओ बराबर-बराबर नुकसान लेते हैं, यूं कब तक एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाएंगे, हम दोनों ग़लत थे, चलो ये मान लेते हैं। ©दुर्गेश
दुर्गेश
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तुझसे बिछड़ते ही, बेरोजगार सा हो गया, खुद की नजरों में, गुनहगार सा हो गया, सोचा! साथ रहोगे, उन बीते दिनों की तरह, अफसोस! वो हसीं पल यादगार सा हो गया। ©दुर्गेश
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तुम रहो महलों में,मेरे लिए छोटा मकान रहने दो, तुम बन जाओ भगवान, हमें भी इंसान रहने दो, मुझे गिला नहीं तुम्हारे रईस कहलाने से... गुजारिश बस इतनी है, हमें भी किसान रहने दो। ©दुर्गेश
9 Love
मन की सारी उलझनें, फिर से हल कर जाओ, किश्तों में बटी खुशियों को, हरपल कर जाओ, तमाम बातें अधुरी रह गई थी, तेरी और मेरी, आओ ना, वो सारी बातें मुकम्मल कर जाओ। ©दुर्गेश
7 Love
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