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Jasuram
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एक मेहनत :एक विश्वास कही बाधाएं आयेगी कही पहाड़ टूटेंगे कही समंदर में सुनामी छायेगी कही बंजर भूमि थरथराएगी कही खड़ी मंजिल गिर जायेगी कही दूर तक दिखाई देनी वाली इमारत भी ढह जायेगी मगर देखना एक मेहनत एक विश्वास से पु:न पहले जैसी फसल लहराएगी वो बंजर भूमि उपजाऊ बन जायेगी ढह गई जो इमारत वो पु:न खड़ी हो जायेगी। ©Jasuram
21 Love
हुई भोर- शीर्षक मन मीत संग प्रीत, लगी मन मोहन, तन सोहवन हुई भोर , जगी डोर , छुई छोर , निकला मोर चुगवन दाना, खेलत श्यामा नील गगन, छत्र छाया विचित्र माया, चित्रित काया। ©Jasuram
17 Love
सूरज उगने से तुम्हारे जागने से पहले उठ अपने बिस्तर से खेत को जाता है एक खेतिहर किसान चाय पानी राशन एक थैली में लेकर साथ खेत के बीच चूल्हा जलाता है एक खेतिहर किसान उगाकर अनाज पाल पोश कर बड़ा करता पकाकर काट फसल तुमे खिलाता है एक खेतिहर किसान तुमे क्या पता ? कैसे पकती है फसल दाने दाने का हिसाब रखना पड़ता है गिरवी रख,गिरवी रहकर अपना परिवार चलाता है एक खेतिहर किसान। ©Jasuram
22 Love
शीर्षक- मजबूरियाँ मजबूरियाँ कमजोर सी है मगर जिम्मेदारी मार देती है इन्सान को धमकियों के बजाय जिम्मेदारी सिखा देती है जीना शैतान को रह ले खुले में इन्सान मगर कुछ जिम्मेदारियाँ बनावा देती है मकान को ©Jasuram
29 Love
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