"तुम मरुभूमि में मृगतृष्णा सी, मैं हिरण भटकता प्यासा" लोग कहते हैं मैं अड़ियल, झगड़ालू और खड़ूस हूँ क्या करें ज़िन्दगी के सितम और उसके इश्क़ की देन है सब
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