प्राथमिकता....
हे इंसान,
जिंदगी के सफर मे यू तो जरूरते कई है
वो भी जो यथार्य में जरूरी ही नहीं है,
भौतिक सुख साधन संपति के मोह मे
तुने पेड़ों के सर काटे है,
अपनी जरूरत के लिये
तुने नदियों को जहर बाटे है,
परिंदो को बेघर किया
मछलियों को मोत् से जोड़ दिया,
इंसान से महान बन ने की लालशा मे
तुने अपने स्वार्थ को प्रधान दिया,
इमारतों की लालच में
तुने पेड़ कई काटे है,
पेड़ न बोया एक तुने
जंगल रेगिस्तान को बाटे है,
अरे महान तो वो भगवान है
जिसकी दया से
हर जीव का जीवन चलता है,
तु भी प्रकृति को प्रधान कर
प्रकृति का हिस्सा बन,
महान ता का मोह त्याग
तु भी एक इंसान बन...
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