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singing
Rãvi Mãlviyã8889
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“नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ, तेरे होठों की लरजिश पर हर इक सुर-ताल लिखता हूँ, तेरी आँखों की झीलों में है मेरे इश्क के आँसू, तो जानेमन मै तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूँ...!” ©Ravi Malviya
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कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है ।। मगर धरती की बेचैनी को बादल समझता है। मैं तुझसे दूर कैसा हूं तू मुझसे से दूर कैसी है। यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।। ©Ravi Malviya
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