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तीर नज़रो के अपने आने दो
ख्वाब पलकों पे गुदगुदाने दो
दिल धड़कता है तेरे चाहत में
दिल में खुद को मुझे बसाने दो
बज्म तेरी ये सज चुकी है तो
किस्से अपने हमें सुनाने दो
अब सताओ न यूँ मुहब्बत में
इन लबो को भी मुस्कराने दो
जलते खाबो में अक्स है तेरा
प्यास दिल की हमें बुझाने दो
धड़कने रुक सी गई है अब
दिल मिला कर इसे जगाने दो
हो चुका रस्मे इश्क आ जाओ
दिल से दिल को जरा मिलानेदो
( लक्ष्मण दावानी )
24/11/2016
©laxman dawani
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