एक परीक्षा समाप्त...
अब हम चल पड़े है,नए पड़ाव की ओर
नई उमंग के साथ..
फिर से ये सोचते हुए,
की अब कुछ नई राह बनाएंगे...
हम तो फिर से,सपने सजा रहे है...
फिर नई मंजिल की ओर, अग्रसर हो रहे है...
जीवन के उस दौर से,गुज़र रहे है
जहां एक तरफ कुआं,एक तरफ खाई है....
मंजिले सभी की, अलग अलग है
लेकिन सब सवार एक ही नाव पर है.....
चल पड़े हैं, अब हम नए पड़ाव की ओर
नई उमंग भी,लिए हुए है....
चलते चलते थक जायेंगे एक दिन
थोड़े आराम की चाह में बैठ जायेंगे
फिर याद आयेगी मंजिल की और उठ कर
फिर से चल पड़ेंगे
जिस मंजिल का हम सपना सजा रहे है....
©Sheetal
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#WinterEve