green-leaves मेरी सर्दियां खत्म हो गई,, अभी कुछ रो | हिंदी शायरी

"green-leaves मेरी सर्दियां खत्म हो गई,, अभी कुछ रोज पहले , मुझे नसीब हुई ये सर्दी थोड़ा सा अहसास मिला, जरा सी मेरे करीब हुई सर्दी, दस दिन की सर्दी में धूप देख नहीं पाया बैठ कर कहीं अलाव सेक नहीं पाया , अभी तो बस दिल लगाया था रजाई से जरा सी मोहब्बत और बिछड़ गई सर्दी, गर्म जैकेट और स्वेटर अलमारी में कैद हो गई दबा कर आंसु मेरी रजाई भी सो गई, सुकून मिलने से पहले ही खो गई कमबख्त मेरी सर्दियां खत्म हो गई,, ©Pawan Soni Ji"

 green-leaves मेरी सर्दियां खत्म हो गई,,
अभी कुछ रोज पहले , मुझे नसीब हुई ये सर्दी
थोड़ा सा अहसास मिला, जरा सी मेरे करीब हुई सर्दी, 
दस दिन की सर्दी में धूप देख नहीं पाया
बैठ कर कहीं अलाव सेक नहीं पाया ,
अभी तो बस दिल लगाया था रजाई से
जरा सी मोहब्बत और बिछड़ गई सर्दी, 
गर्म जैकेट और स्वेटर अलमारी में कैद हो गई 
दबा कर आंसु मेरी रजाई भी सो गई,
सुकून मिलने से पहले ही खो गई
कमबख्त मेरी सर्दियां खत्म हो गई,,

©Pawan Soni Ji

green-leaves मेरी सर्दियां खत्म हो गई,, अभी कुछ रोज पहले , मुझे नसीब हुई ये सर्दी थोड़ा सा अहसास मिला, जरा सी मेरे करीब हुई सर्दी, दस दिन की सर्दी में धूप देख नहीं पाया बैठ कर कहीं अलाव सेक नहीं पाया , अभी तो बस दिल लगाया था रजाई से जरा सी मोहब्बत और बिछड़ गई सर्दी, गर्म जैकेट और स्वेटर अलमारी में कैद हो गई दबा कर आंसु मेरी रजाई भी सो गई, सुकून मिलने से पहले ही खो गई कमबख्त मेरी सर्दियां खत्म हो गई,, ©Pawan Soni Ji

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