White हम दूसरों से, जितनी झूठी बातें बनाते हैं।
हम खुद से कई गुना झूठ बोलने की,
आदत डाल चुके होते हैं।
हम व्यापारी बनकर,
जीस भावनाओं के सौदेबाजी करते हैं।
उसका फायदा और नुकसान,
यह दोनों एक दिन हमें ही होने वाला है।
साधु और संत बनकर, ढोंग करने से बेहतर है।
स्वयं का गुरु बनकर,
औसत जीवन का श्रेष्ठ मार्ग ढूंढे।
©Rohan Roy
हम दूसरों से, जितनी झूठी बातें बनाते हैं
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