अब न होंगे दूर जो अब पास हुए वस्ल की रात को बहुत ल | हिंदी Shayari Vid

"अब न होंगे दूर जो अब पास हुए वस्ल की रात को बहुत लम्हात हुए चाहत को अब पर सुरखाब के लगे तन को अरसा हुआ यहाँ शांत हुए तन्हाई में यूँ दिन रात हलकान रहे छुअन की चाह में मशगूल हम हुए पहले के मिलन के किस्से याद किये तेरे बोसों के निशां फिर सुर्ख हुए इस हालत को 'अनुज' हम क्यों सहें तुमको भी क्या ऐसे नही जज़्बात हुए ©Anuj Jain "

अब न होंगे दूर जो अब पास हुए वस्ल की रात को बहुत लम्हात हुए चाहत को अब पर सुरखाब के लगे तन को अरसा हुआ यहाँ शांत हुए तन्हाई में यूँ दिन रात हलकान रहे छुअन की चाह में मशगूल हम हुए पहले के मिलन के किस्से याद किये तेरे बोसों के निशां फिर सुर्ख हुए इस हालत को 'अनुज' हम क्यों सहें तुमको भी क्या ऐसे नही जज़्बात हुए ©Anuj Jain

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