औरों के ज़ख्म पे मरहम लगते हैं वो।
किसी दौर में वही ज़ख्म खाते हैं जो।।
Auron k Jakhm P Marham Lagte Hn Wo
Kisi Daur Me Wahi Jakhm khate Hn Jo
Adnan Rabbani's Shayari • औरों के ज़ख्म पे मरहम लगते हैं वो।
किसी दौर में वही ज़ख्म खाते हैं जो।।
Auron k Jakhm P Marham Lagte Hn Wo
Kisi Daur Me Wahi Jakhm khate Hn Jo