ऐ बिन्त –ए–हव्वा चिराग़े महफिल बन, चिराग़े राह न बन | हिंदी

"ऐ बिन्त –ए–हव्वा चिराग़े महफिल बन, चिराग़े राह न बन। एक यूसुफ का इंतेखाब कर, हर किसी की जुलैखा न बन।। ©Arhaan Zaidy"

 ऐ बिन्त –ए–हव्वा चिराग़े महफिल बन, चिराग़े राह न बन।
एक यूसुफ का इंतेखाब कर, हर किसी की जुलैखा न बन।।

©Arhaan Zaidy

ऐ बिन्त –ए–हव्वा चिराग़े महफिल बन, चिराग़े राह न बन। एक यूसुफ का इंतेखाब कर, हर किसी की जुलैखा न बन।। ©Arhaan Zaidy

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