White भोर भई साझ ढली किरणों ने ली अगड़ाई
सुबह होने क़ो आई, चिड़िया चहचकाई, जंगल
मे मोर के पीहु पीहु की आवाज़ आई, ठंडी हवा
मस्त बही, सूरज के आगमन से धरती फूली नहीं
समाई, प्रकृति के रंग दमकने लगे, हरियाली, पेड़
फूल सब झूमने लगे, जैसे कि ख़ुशी का ऐसा आलम
पहली बार हुआ हो, जल्दी उठो तो जानो हम से
पहले पक्षी, जानवर उठ जाते है और भोजन की
तलाश मे निकल जाते है झुंड मे, कही कोई हमला
ना करे, इंसान भी वही दिनचर्या के हिसाब से उठता
सोता है और कर्म करता है, जीवन यही है भोर भई साँझ ढली......
©puja udeshi
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