ये कभी ना सोचना तुम
बाद तुम्हारे हम यहीं रह जायेंगें
सफ़र किसका खत्म़ होगा पहले
ये तो तय नहीं है, पर इतना पता है
तुम खुद़ को कभी अकेला ना पाओगे
दीवारों, बिस्तर या मकान में ना ढूँढ़गा तुम्हें
तुम मुझमें हो मुझमें ही रह जाओगे
इससे ज्यादा शायद़ समझा ना सकूँगा
अलग हो जायेंगे ये जिस्म़ इस जहाँ से
रुह़ को रुह़ से ना जुद़ा कर पायेंगे।।
©Varun Raj Dhalotra
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