White डूबते शहर में रंजीशें बहुत है , मुल्क की सरह | हिंदी Poetry Vide

"White डूबते शहर में रंजीशें बहुत है , मुल्क की सरहद पार कर चले..! हर लिबास खूनी रंगों का खेल , यहां कोई ना जो अपना सा लगे..! कुदरत भी बेपरवाह हो गई , मूंदी आंखों से जो उफ न करे..! गलियारों में हर मां बिलखती , पूतों की लाशें पाने को लड़े...!! किस बात की ये छींटाकशी , रूप रंग जब एक ही लगे...! कौन सी लकीर खींची गई , जिसे लांघें कोई ज़िंदा न बचे...!! हर कोई उस ओर निहारे खड़े ऐसा , बारूदों के बीच मूक पंछी भी मरे...! कड़वाहटें घुल घुल दफ्न हुई सीने में , दुश्मनों की हर जगह पैदावार ही बढ़े...!! ©Naveen "

White डूबते शहर में रंजीशें बहुत है , मुल्क की सरहद पार कर चले..! हर लिबास खूनी रंगों का खेल , यहां कोई ना जो अपना सा लगे..! कुदरत भी बेपरवाह हो गई , मूंदी आंखों से जो उफ न करे..! गलियारों में हर मां बिलखती , पूतों की लाशें पाने को लड़े...!! किस बात की ये छींटाकशी , रूप रंग जब एक ही लगे...! कौन सी लकीर खींची गई , जिसे लांघें कोई ज़िंदा न बचे...!! हर कोई उस ओर निहारे खड़े ऐसा , बारूदों के बीच मूक पंछी भी मरे...! कड़वाहटें घुल घुल दफ्न हुई सीने में , दुश्मनों की हर जगह पैदावार ही बढ़े...!! ©Naveen

#happy_independence_day

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