जुर्म इतना सा है बांहे फैला देता है। नदियों क्यों | हिंदी Shayari Vide

"जुर्म इतना सा है बांहे फैला देता है। नदियों क्यों कोई गुनाह गार नही समझता समंदर कभी नही जाता नदियों तक नदियां खुद जाती हैं फिर भी ये संसार नही समझता ©Jainendra Thakur "

जुर्म इतना सा है बांहे फैला देता है। नदियों क्यों कोई गुनाह गार नही समझता समंदर कभी नही जाता नदियों तक नदियां खुद जाती हैं फिर भी ये संसार नही समझता ©Jainendra Thakur

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