निगाहों में मंजिल थी गिरे और गिरकर संभलते रहे हवाओ | हिंदी शायरी

"निगाहों में मंजिल थी गिरे और गिरकर संभलते रहे हवाओं ने बहुत कोशिश की मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे। 🙏 ©Indian Ink"

 निगाहों में मंजिल थी
गिरे और गिरकर संभलते रहे
हवाओं ने बहुत कोशिश की
मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।
🙏

©Indian Ink

निगाहों में मंजिल थी गिरे और गिरकर संभलते रहे हवाओं ने बहुत कोशिश की मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे। 🙏 ©Indian Ink

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