वीर पुरुषों ने अपनी जान गँवाई थी
तब जाकर देश में क्रांति आई थी।
नम थी लाखों आँखें
जब उन आँखों के इर्द गिर्द पड़ी थी हज़ारों लाशें।
एक ओर आज़ादी की खुशी थी
तो दूजी ओर बह रही खून की नदी थी।
खुश थे हम,की सदियों बाद आज़ाद हो गये
पर दुखी था मन,कि हमें आज़ाद कराने वाले तो कफ़न पहन कर सो गये।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।.
🙏🇮🇳🙏
©Abhishek Mishra
#Independence