"स्वार्थी दुनिया.....
बात जब हिस्से की हो
सब जुट जाते है
मगर एक मां बाप को पाल
नहीं पाते हैं
यह दुनियां स्वार्थी है साहब
बिन फायदा के बात तक
नहीं कर पाते हैं
अगर वह गरीब हो तो
यहां तक कि रिश्ता नाता सब तोड़ जाते हैं
वाह रे इंसानियत
एक समय था सर आंखों
पर बैठाते थे.....
©Hritik Gupta
"