White गुजरते हर इक लम्हे देख रहे है मुस्कुराते हुये
इन वीरानों से भी निकल जायेंगे गुनगुनाते हुये
पलकों में..दुआओं में.. तो कभी किताबों में
अक्स शायद उभर ना जाये . राज़ छुपाते हुये
कच्चे धागे से थामे रक्खा था जिन्हे अब तक
उन पतंगों को भी देखा है हमने तूफानों को आजमाते हुए
जलती हुई लौ के तले तो हमेशा अंधेरा ही रहा
कभी शाम भी गुजरती है,आईने को ये समझाते हुये
परवाह.फिक्र. जिक्र..अपनेपन का वो वहम
राही सफर में थक सा जाता है..अकेले इन सामां को उठाते हुये
कोई बस जाता है किसी ख़ालीपन में कहीं
कहीं कोई है जो खामोशी से घुल जाता है, खुशबू फैलाते हुये
@विकास
©Vikas sharma
#rajdhani_night राह के मुसाफ़िर