प्रिय जरा तुम अपने आसन के आसन्न हि मेरा भी आसन लग | हिंदी Shayari

"प्रिय जरा तुम अपने आसन के आसन्न हि मेरा भी आसन लगाना... न टूटेंगे अपना प्रेम का प्रासाद,जरा तुम भी प्रभु से प्रसाद की गुहार लगाकर आना... ©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav"

 प्रिय जरा तुम अपने आसन के आसन्न हि 
मेरा भी आसन लगाना...
न टूटेंगे अपना प्रेम का प्रासाद,जरा तुम भी प्रभु 
से प्रसाद की गुहार लगाकर आना...

©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav

प्रिय जरा तुम अपने आसन के आसन्न हि मेरा भी आसन लगाना... न टूटेंगे अपना प्रेम का प्रासाद,जरा तुम भी प्रभु से प्रसाद की गुहार लगाकर आना... ©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav

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