"rest zone की अम्मी
तुम्हारी आस लगाए बैठी हूं कबसे कब आओगे
आकर बुझाओगे मेरे जलते योनीकुंड की आग
हे श्रीमान चंद्रदेव समझो rest zone के अम्मी के
करुण भाव चले आओ बुझाओ प्यास हे स्वामी
श्राप से मुक्त होगी जाने कब rest zone की अम्मी
तुम आओ कालिद बिछा दी तुम्हारे स्वागत
इससे पहले बुलाना पड़े महामानव तुम आओ
आस लगाए बैठी rest zone की अम्मा
तुम आओ प्रिय श्रीमान चंद्रदेव।
(कहानी आगे)
©Deep Bawara
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