"मैंने इस महामारी में
ख्वाबों को बिखरते देखा है
रेल की पटरियों पे
लोगो को कटते देखा है
मैंने इस महामारी में
कुछ को लाचार पाया
तो किसी को मजबूर देखा
जिस रात तुमने दिए जलाए थे
क्या तुमने उस रात
शहर छोड़ गावं जाता
वो
मजदूर देखा।"
मैंने इस महामारी में
ख्वाबों को बिखरते देखा है
रेल की पटरियों पे
लोगो को कटते देखा है
मैंने इस महामारी में
कुछ को लाचार पाया
तो किसी को मजबूर देखा
जिस रात तुमने दिए जलाए थे
क्या तुमने उस रात
शहर छोड़ गावं जाता
वो
मजदूर देखा।