लिखना है मुझे "पिता का बोझ"
लिख देनी है
वो सारी बातें
जो पिता कभी कह नहीं पाए
लिखना है वो सारे सपने
जो पिता छोड़ देते एक पड़ाव पर
और अगर स्याही खत्म हो जाए
तो लिखूंगा मै
रेत पर
जितनी बार भी नदी उसे मिटायेगी
उतनी बार लिखूंगा
पर सच कहू
माँ की ममता से कठिन है समझना "पिता का स्नेह"
©Manas Subodh
#FathersDay
#poems