गुरु पारख को अंग - 2
गुरु नाम है गम्य का, शीष सीख ले सोय।
बिनु पद बिनु मरजाद नर, गुरु शीष नहिं कोय।।
गुरु नाम उसका है, जो सत्य का ज्ञान कराए और शिष्य नाम उसका है, जो गुरु से शिक्षा ग्रहण करे। गुरु-शिष्य की पद-मर्यादा के बिना न कोई गुरु है और न कोई शिष्य, अतः गुरु और शिष्य दोनों को ही अपने-अपने पद-धर्म को सत्यता से निभाना चाहिए।
सत साहेब जी
©कुमार रंजीत
गुरु-2
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