मेरे हर शब्द के यथार्थ तुम्ही से , और भाव का आधार | हिंदी कविता Video

"मेरे हर शब्द के यथार्थ तुम्ही से , और भाव का आधार भी तुम । कस्मकश सी है साँसों में जिनके, इंकार भी तुम स्वीकार भी तुम । अब ज़ोर नहीं साँसों पर मेरे, इस जीवन का अधिकार भी तुम । तुम से ही दिन ढ़लता मेरा, खुले आँख सुबह तुम्हीं दिखते हो। है किताब सरीखी जीवन मेरा जिसके, हर पन्ने में सिर्फ "तुम" बसते हो। ©Ritika Vijay Shrivastava "

मेरे हर शब्द के यथार्थ तुम्ही से , और भाव का आधार भी तुम । कस्मकश सी है साँसों में जिनके, इंकार भी तुम स्वीकार भी तुम । अब ज़ोर नहीं साँसों पर मेरे, इस जीवन का अधिकार भी तुम । तुम से ही दिन ढ़लता मेरा, खुले आँख सुबह तुम्हीं दिखते हो। है किताब सरीखी जीवन मेरा जिसके, हर पन्ने में सिर्फ "तुम" बसते हो। ©Ritika Vijay Shrivastava

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