कैसे अब कोई और समा जाए इन आँखों के साहिल में, करके | हिंदी शायरी

"कैसे अब कोई और समा जाए इन आँखों के साहिल में, करके सजदा तेरा बैठी है ये तेरे ही मुन्तजिर ए हासिल में।।"

 कैसे अब कोई और समा जाए इन आँखों के साहिल में,
करके सजदा तेरा बैठी है ये तेरे ही मुन्तजिर ए हासिल में।।

कैसे अब कोई और समा जाए इन आँखों के साहिल में, करके सजदा तेरा बैठी है ये तेरे ही मुन्तजिर ए हासिल में।।

#Sunhari_Subh #post259 #अंकितशर्माबेख़बर

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