बिकती है ना खुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है!.. लोग | हिंदी Shayari

"बिकती है ना खुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है!.. लोग गलत फहमी में है कि शायद कहीं मरहम बिकता है!.. इंसान ख्वाहिशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है!.. उम्मीद से ही घायल और उम्मीद पर ही जिंदा है!.. ©dixit_love_"

 बिकती है ना खुशी कहीं 
ना कहीं गम बिकता है!..

लोग गलत फहमी में है 
कि शायद कहीं मरहम बिकता है!..

इंसान ख्वाहिशों से बंधा हुआ 
एक जिद्दी परिंदा है!..

उम्मीद से ही घायल और 
उम्मीद पर ही जिंदा है!..

©dixit_love_

बिकती है ना खुशी कहीं ना कहीं गम बिकता है!.. लोग गलत फहमी में है कि शायद कहीं मरहम बिकता है!.. इंसान ख्वाहिशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है!.. उम्मीद से ही घायल और उम्मीद पर ही जिंदा है!.. ©dixit_love_

#Khushi #गम #Umeed #love #Pyrr

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