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सारे अखबारों में नशा छा गया है
उनका एक कलाम छपना आ गया है
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उसने मुझको देर तक अपना तो कहा
ये हकीकत है या सपना आ गया है
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आएंगे दर पर प्रभु इस वास्ते
बेर शबरी को यूं चखना आ गया है
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तुम जिसे कहते वो राम, श्याम है
श्याम में मुझको वो रखना आ गया है
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ये फिजा रोशन “विनय” उस नाम से
नाम जो मोहन का मन को भा गया है
©writervinayazad
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